हरिद्वार में घूमने की जगह ढूंढ रहे हैं? जानिए उन प्रसिद्ध मंदिरों, घाटों और तीर्थ स्थलों के बारे में, जो हर श्रद्धालु और यात्री को जीवन में एक बार जरूर देखने चाहिए।
हरिद्वार उत्तराखंड का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जो गंगा नदी के किनारे स्थित है। यहाँ के मंदिर धार्मिक महत्ता रखते हैं, जैसे माया देवी मंदिर, चंडी देवी मंदिर और हर की पौड़ी। अगर आप जानना चाहते हैं यहां और कौन-कौन सी घूमने वाली खास जगह है जहां जाकर आप शांति पा सकते हैं तो पढ़िए हमारे इस लेख को और जानें हरिद्वार के प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में सब कुछ।
आज हम आपको बताने जा रहे हैं उत्तराखंड के हरिद्वार के उन मंदिरों के बारे में जो न केवल हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए बल्कि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आस्था और भक्ति का प्रमुख केंद्र बन चुका है। हरिद्वार की हर गली में देवी-देवताओं के मंदिर बसे हुए हैं, जिनमें लोग श्रद्धा भाव से पूजा करते हैं।
यहाँ का धार्मिक माहौल और हर पांच कदम पर स्थित पौराणिक स्थलों की महिमा भक्तों के दिलों को छू जाती है। यहाँ के मंदिर न केवल अपनी धार्मिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध हैं, बल्कि इनकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर भी अनमोल है। इन मंदिरों की भव्यता और दिव्यता हर श्रद्धालु को एक नई आस्था और समर्पण की ओर प्रेरित करती है। तो चलिए जानते हैं हरिद्वार के प्रसिद्ध मंदिर के बारे में जहां एक बार तो जाकर आना चाहिए।
दक्ष महादेव मंदिर हरिद्वार का एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है, जो भगवान शिव की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर दक्ष प्रजापति से जुड़ा हुआ है, जहां भगवान शिव की मूर्ति के साथ देवी सती के जीवन के महत्वपूर्ण घटनाओं का भी जिक्र किया गया है। यहां श्रद्धालु भगवान शिव और विष्णु के निशानों का दर्शन करने आते हैं। माना जाता है कि देवी सती ने यहीं अपने प्राणों का बलिदान दिया था।
मनसा देवी मंदिर हरिद्वार के एक प्रमुख तीर्थ स्थल में से एक है, जो शिवालिक पहाड़ियों पर स्थित है। मनसा देवी को भगवान शिव की मानस पुत्री माना जाता है और उन्हें नागराज वासुकी की पत्नी के रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर में आने वाले भक्त उनकी कृपा से अपने सारे संकटों का निवारण करते हैं।
मायादेवी मंदिर हरिद्वार के प्रमुख शक्तिपीठों में एक है, जो देवी सती से जुड़ा हुआ है। इस मंदिर में यह विश्वास है कि यहां माता सती की नाभि गिरी थी। इस मंदिर में पूजा करने के बाद भक्तों को भैरव बाबा का दर्शन करना अनिवार्य माना जाता है, तभी पूजा पूरी होती है।
चंडी माता मंदिर हरिद्वार के प्रसिद्ध और ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है, जो नील पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर की स्थापना 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा की गई थी, जबकि इसका पुनर्निर्माण राजा सुचात सिंह ने 1929 में कराया। चंडी देवी ने शुंभ-निशुंभ के सेनापति 'चंड' और 'मुंड' को यहीं पर हराया था।
गौरी-शंकर महादेव मंदिर हरिद्वार के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है, जो भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इस मंदिर का वर्णन शिवपुराण में किया गया है, और यह स्थल भगवान शिव के माता सती से विवाह के बाद स्थापित हुआ था।
बिल्केश्वर महादेव मंदिर हरिद्वार के बिल्व पर्वत पर स्थित है और यहां माता पार्वती ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। मंदिर के पास स्थित गौरी कुंड जहां माता पार्वती ने स्नान किया और गंगा के जलधारा का प्रकट होना एक धार्मिक महत्व रखता है। यहां आने से भक्तों को आशीर्वाद और शांति का अहसास होता है।
सप्त ऋषि आश्रम हरिद्वार के उत्तरी भाग में स्थित है, जो तपस्या और साधना का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। यहां कहा जाता है कि सप्त ऋषि ने गंगा के आगमन से पहले अपनी तपस्या की थी। इस स्थान पर गंगा सात धाराओं में बही थी।
नृसिंह भगवान मंदिर हरिद्वार के उत्तरी भाग में स्थित है और यह विष्णु भगवान के नृसिंह अवतार को समर्पित है। यहां आने वाले भक्त प्रह्लाद और नृसिंह का जाप करने से अपने तन और मन के रोगों से मुक्ति पाते हैं।
आनंद भैरव मंदिर हरिद्वार शहर के केंद्र में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। इसे हरिद्वार का कोतवाल भी कहा जाता है और यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस मंदिर में स्थित स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन करने से भक्तों को विशेष आशीर्वाद मिलता है। यहां की भव्य आरती अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव देती है।
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